भगवान केवल भाव के ही भूखे होते हैं. वे यह नहीं देखते कि भक्त ने उन्हें क्या अर्पित किया है या कैसा अर्पित किया है. इसके बावजूद भक्तों का प्रयास रही रहता है कि प्रभु को हर तरह से प्रसन्न किया जाए. हिन्दू धर्म में अनेक देवी देवता हैं, और हर हिन्दू एक से अधिक देवता की पूजा अर्चना करता है। जिस प्रकार हर व्यक्ति की पसंद अलग अलग होती है, उसी प्रकार हिन्दू धर्म ग्रंथो में हर देवी देवता की पसंद भी अलग अलग बताई गयी है। हमारे पूजा करने के पीछे का मुख्य कारण है, उस देवता को प्रसन्न करना जिनकी हम पूजा कर रहे है। इसलिए हमारा यह जानना आवश्यक है, की हमारे आराध्य देव को कौन सा फूल अर्पण करें जिससे वे शीग्र प्रसन्न हो कर हमे हमारी पूजा का फल दें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवी देवताओ को पूजा में फल फूल अर्पण करने से वे, साधक पर प्रसन्न होकर उनकी मनोकामना पूर्ण करते हैं। आज हम आपको बताएंगे की किस देवी देवता को क्या अर्पण करने से वे जल्दी प्रसन्न होते हैं। श्रीगणेश - भगवान् गणेश अग्रपूजा के अधिकारी हैं। भगवान गणेश को दूर्वा अति प्रिय है। दूर्वा के ऊपरी भाग में तीन या पांच पत्तियां हो तो वे अति उत्तम मानी गयी हैं। इसके अतिरिक्त उन्हें सभी प्रकार के फूल अर्पित किये जा सकते हैं, किन्तु इसमें भी अगर लाल गुलाब, तो उन्हें प्रिय माना गया है। किन्तु पद्मपुराण के अनुसार उनपर तुलसी चढ़ाना वर्जित किया गया है। ‘न तुलस्या गणाधिपम’, इसलिए गणेश बहगवां पर तुलसी ना चढ़ाए। भगवान शंकर - भगवन शंकर को बेलपत्र और धतूरे के फूल अतिप्रिय हैं. इसके अतिरिक्त उन्हें हरसिंगार, व नागकेसर के सफेद पुष्प, सूखे कमल गट्टे, कनेर, कुसुम, आक, कुश आदि के फूल चढ़ाने का विधान है।किन्तु केवड़े का पुष्प भगवन शिव पर नहीं चढ़ाया जाता। मां काली -काली माँ को जवाकुसुम / गुड़हल के लाल फूल की माला अति प्रिय है। भगवान विष्णु- विष्णु पुराण के अनुसार भगवान् विष्णु का विवाह तुलसी से हुआ था, इसलिए उन्हें तुलसी सबसे प्रिय है। इसके अलावा उन्हें कमल, मौलसिरी, जूही,अशोक, मालती, वासंती, चंपा, वैजयंती, कदम्ब, केवड़ा, चमेली के पुष्प विशेष प्रिय हैं। कार्तिक के महीने में भगवान विष्णु केतकी के फूलों की पूजा से विशेष रूप से प्रसन्न होते है । लेकिन विष्णु जी पर आक, धतूरा, शिरीष, सहजन, सेमल, कचनार और गूलर के फूल नहीं चढ़ाये जाते। भगवान सूर्य - सूर्य भगव